ट्रेडिंग क्या होती है | ट्रेडिंग कितने प्रकार की होती है?
ट्रेडिंग बढ़ते समय के साथ लोग शेयर बाजार में ट्रेडिंग करने के लिए बहुत उत्सुक है शेयर बाजार में ट्रेडिंग करने वालो लोगो की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है आप इस बात से अंदाजा लगा सकते है की साल 2010 में 2.3 करोड़ डीमैट अकाउंट थे और साल 2024 तक शेयर मार्किट में 5 करोड़ से भी ज्यादा डीमैट अकाउंट खुल चुके है यानि ये ट्रेडिंग कुछ बड़ी चीज़ है। आखिर "ट्रेडिंग क्या होती है | ट्रेडिंग कितने प्रकार की होती है" विस्तार से इस ब्लॉग में समझते है।
ट्रेडिंग क्या होती है?
ट्रेडिंग का अर्थ होता है व्यापर यानि किसी वस्तु को कम दाम में खरीदना और अधिक दाम में बेचना।
इसी प्रकार शेयर मार्किट में कंपनी के शेयर को खरीदना और बेचना ही ट्रेडिंग कहलाता है यानि किसी कंपनी के शेयर को कम दाम में खरीदना और अधिक दाम में शेयर को बेच देना ही ट्रेडिंग होती है।
लेकिन यदि किसी भी शेयर को एक साल से अधिक समय के लिए खरीदा जाये तब वह इन्वेस्टमेंट कहलायेगा।
ट्रेडिंग कितने प्रकार की होती है?
शेयर मार्किट में ट्रेडिंग 4 प्रकार की होती है-
- इंट्राडे ट्रेडिंग (Intraday Trading)
- स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading)
- पोज़िशनल ट्रेडिंग (Positional Trading)
- स्कैलपिंग ट्रेडिंग (Scalping Trading)
इंट्राडे ट्रेडिंग (Intraday Trading)
इंट्राडे ट्रेडिंग नाम से ही पता चलता है कि यह ट्रेडिंग एक दिन की होती है शेयर मार्किट का समय सुबह 9:15 से शाम 3:30 तक होता है। इस समय के बीच में ही शेयर को खरीद कर बेचना होता है और यदि शेयर मार्किट बंद होने तक आप अपने शेयर नहीं बेचते है तो 3:30 बजे शेयर आटोमेटिक बिक जायेंगे चाहे आपको नुकसान हुआ हो या प्रॉफिट यही इंट्राडे ट्रेडिंग होती है।
स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading)
स्विंग ट्रेडिंग में शेयर को एक हफ्ते से लेकर दो या तीन हफ्तों तक होल्ड किया जाता है किसी शेयर में मूवमेंट आने से पहले ही खरीद लिया जाता है और शेयर का भाव दो या तीन हफ्तों में बढ़ जाने के बाद उसे बेच दिया जाता है इसे ही स्विंग ट्रेडिंग कहते है। स्विंग ट्रेडिंग करने की लिए अधिक समय तक चार्ट को नहीं देखना पड़ता है इसलिए स्विंग ट्रेडिंग को नौकरी पेशे वाले लोग भी कर सकते है और इसमें रिस्क भी कम होता है।
पोज़िशनल ट्रेडिंग (Positional Trading)
पोज़िशनल ट्रेडिंग में शेयर को एक महीने से 5 या 6 महीने तक होल्ड किया जाता है इसमें शेयर का भाव बहुत अधिक बढ़ने की सम्भावना होती है इसलिए इसमें प्रॉफिट भी अधिक होता है इसे लॉन्ग टर्म ट्रेडिंग भी कहते है।
स्कैलपिंग ट्रेडिंग (Scalping Trading)
स्कैलपिंग ट्रेडिंग 1 मिनट से 5 मिनट या इससे भी कम समय में की जाती है बहुत कम समय में ही ट्रेड में नुकसान या प्रॉफिट हो जाता है। स्कैलपिंग ट्रेडिंग करने के लिए बहुत नॉलेज और स्किल की जरुरत होती है और इसमें रिस्क भी बहुत ज्यादा होता है।
ट्रेडिंग कैसे करे?
ट्रेडिंग करने के लिए आपके पास एक डीमैट अकाउंट होना जरुरी है और ट्रेडिंग करने से पहले नॉलेज और स्किल होना भी जरुरी है जिससे ट्रेडिंग करके प्रॉफिट किया जा सके।
यदि आपके पास ट्रेडिंग करने के लिए आपके पास डीमैट अकाउंट नहीं है तो आप निचे दिए गए लिंक से डीमैट अकाउंट खुलवा सकते है-
ट्रेडिंग के फायदे-
- ट्रेडिंग करके आप बहुत अधिक पैसा कमा सकते है।
- ट्रेडिंग से आप अपने वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हो।
- ट्रेडिंग से आपकी वित्तीय नॉलेज बढ़ती है जिससे आप आसानी से फाइनेंसियल फ्रीडम पा सकते है।
ट्रेडिंग के नुकसान-
- ट्रेडिंग की सही नॉलेज ना होने के कारण आपको नुकसान भी हो सकता है इसलिए ट्रेडिंग से पहले ट्रेडिंग को सीखे।
- ट्रेडिंग से कई बार कुछ लोगो को मानसिक तनाव भी हो जाता है।
- ट्रेडर कई बार भावनाओ में आकर गलत ट्रेड भी कर देते है जिससे उन्हें वित्तीय हानि भी हो जाती है।
0 टिप्पणियाँ